मैंने कंप्युटर टेबल से अपना मोबाइल उठाया और चार्ज करने वाले केबल को मोबाइल से अलग किया। फिर धीरे-धीरे वहाँ से पीछे मुड़कर जाने लगा। पीछे से खाँसने की आवाज आई। मुझे लगा शायद बेटे को कुछ कष्ट हो रहा है। पीछे मुड़कर देखा। बेटा मुझे स्विच की ओर इशारा करते हुए दिखा। मैंने स्विच की ओर देखा। स्विच बोर्ड से स्विच अॉफ करना मैं भूल गया था। फिर मुझे वह स्विच जाकर अॉफ करना पड़ा।
आज के बच्चे अपने से बड़ों के प्रति कितने सजग हो गए हैं। वे बड़े-बूढ़ों की कोई गलतियों को तुरत पहचान लेते हैं। गलतियों पर समय-समय पर अच्छी डांट भी पिलाते रहते हैं। ये कीजिए, वो मत कीजिए। ये पहनिए वो मत पहनिए। ऐसे रहिए, वैसे मत रहिए। जैसे तैसे रहकर बेटे को बेइज्जत मत कीजिए।
इस उम्र में मेरे बेटे को सही गलत की पहचान हो गई है। यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है। अब मुझे उस दिन का इंतजार है, जब वह मुझे अपने गोद में लेकर खिलाएगा और मैं अपने बिना दांतों वाले मुंह को चलाता हुआ उसके मुख को एकटक निहारता रहूँगा।