बुधवार, 12 अप्रैल 2017

सुख का अनुभव

     एक घंटे से बैठक लगातार चल रही थी। बिजली को गए हुए भी आधे घंटे से ऊपर हो चुका था। गर्मी झेलते हुए बैठक में रहना बड़ा बुरा लग रहा था। सबके मन में एक ही बात थी कितनी जल्दी बैठक समाप्त हो कि हम बाहर हवा में निकलें। तभी अचानक बिजली आ गई। पंखे घूमने लगे ठंडी हवा का झोंका शरीर को छूने लगा। एक लम्बी बेचैनी को शुकून मिला। अब पता चला कि सुख किसे कहते हैं।
     सचमुच दुःख के बाद ही सुख का आनंद अविस्मरणीय होता है।