शनिवार, 7 जून 2014

हमारे बहु-बेटियों की सुरक्षा

आज नारी सुरक्षा की बात बड़े जोरों पर है। नारी की सुरक्षा का जिम्मेदार हम केवल कानून को मान रहे हैं। कोई मजबूत कानून होना चाहिए जिससे अपराधी के मन में डर हो। क्या हमारी जिम्मेदारी नहीं है? क्या समाज की जिम्मेदारी नहीं है? क्या मीडिया का जिम्मेदारी नहीं है? मेरे विचार से हमें निम्नलिखित विंदुओं पर ध्यान देना चाहिए -
  1. घर में - अपने बच्चों को अपनी निगरानी में रखें। उन्हें यौवन को भड़काने वाले गानों, चित्रों और फिल्मों से दूर रखने का प्रयास करें। कुछ समझाकर, कुछ डाँट-फटकार कर, हमेशा प्रयास करें। उन्हें अच्छे-बुरे की पहचान करायें। आवश्यकता से अधिक लाड-प्यार देकर उन्हें अनुशासनहीन और फूहड़ न बना दें।
  2. समाज में - अपने आस-पास के सामाजिक वातावरण पर नजर रखें। आवश्यकतानुसार व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से बहु-बेटियों की सुरक्षा की व्यवस्था करें और असामाजिक व्यवहार और असामाजिक क्रियाकलापों की सूचना सामूहिक रूप से पुलिस को दें।
  3. मीडिया वालों से - मीडिया वालों से भी आग्रह है कि वे यौवन को भड़काने वाले चित्र या प्रचार बंद करें। फिल्म, कहानी, सीरियल आदि में अत्याचार-दुराचार दिखाने के लिए वैसे दृश्य ही दिखायें जिसे देखकर बच्चों के मन में विशेष उत्सुकता न हो। वरना यह मनोरंजन न होकर मनभंजन हो जाएगा।
उपरोक्त विचारों को ध्यान में रखते हुए अपने आस-पास और समाज में एक विशाल जन अभियान छेड़ने की आवश्यकता है। तभी समाज को बढ़ते हुए इस अपराध पर काबू पाया जा सकता है।