शनिवार, 30 मार्च 2019

भारतीय नववर्ष 2076


भारतीय नववर्ष के स्वागत के लिए सम्पूर्ण वातावरण उत्साहित है। नई चेतना, नई शक्ति, नई ऊर्जा से सभी भर गए हैं। वृक्ष अपनी पुरानी पत्तियों को त्याग कर नए कोंपलों से सुसज्जित हो गए हैं। चारों ओर हरियाली छा गई है। रंग-बिरंगे पुष्पों से लदे पादप वृन्द नववर्ष के स्वागत के लिए प्रस्तुत हैं। शक्ति स्वरूपा देवी के नव स्वरूपों की आराधना की तैयारी हो रही है। नववर्ष में नवचेतना का संकल्प लिए कोकिल समूह अपनी कूक से सम्पूर्ण जगत को आह्लादित कर रही है।

इस प्राकृतिक सत्य को भारतीय ऋषि-महर्षियों ने अनुभव किया, अनुसंधान किए, कालचक्र के गहरे रहस्यों को जाना- समझा। इससे एक अद्भुत और अद्वितीय दैवी वरदान के रूप में मानव को प्राप्त हुआ -भारतीय पंचांग।

6 अप्रैल 2019 गुरूवार से भारतीय संवत्सर 2076 का शुभारंभ होने जा रहा है। आप सबको इस नववर्ष की  हार्दिक शुभ कामनाएँ अर्पित करता हूँ।

ईस्वी सन् एक सुविधाजनक कैलेंडर है, जिससे दैनिक राजकार्यों को निर्धारित करने या मजदूरी आदि के भुगतान के लिए प्रयोग किया जाता है। किन्तु इसे कालचक्र का गणित नहीं माना जा सकता। यह खगोल पिण्डों की स्थिति, गति और प्रभाव सहित भारतीय व्रत-त्योहार आदि में ईस्वी सन् की कोई उपयोगिता है ही नहीं। हजारों वर्षों  से व्रत, त्योहार, विवाह, जन्म, पूजा-अर्चना, शुभाशुभ कार्य आदि में भारतीय संवत्सर ही अपनी विशेष भूमिका निभाता रहा है।

इसी जिज्ञासा और सामाजिक व्यवस्था के कारण ही भारतीय कालगणना का जन्म हुआ। भारतीय काल गणना के जन्म से लेकर आज तक अनेक अध्ययन हुए - सही गणना, वैज्ञानिक विश्लेषण, घटित होने वाले प्रभाव से लेकर मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव आदि। इनके अध्ययनों को पुनः जाँचा और परखा गया। खरा पाने पर उन्हें संग्रहीत भी किया गया। इस प्रकार भारतीय कालगणना का विकास निरंतर चलता रहा। इन प्रक्रियाओं से गुजरकर हमारा भारतीय पंचांग अति शुद्ध गणितीय और वैज्ञानिक हो गया है। अभी भी यह नई खोजों में व्याप्त है।

समय के लघु, मध्यम, वृहद स्थितियों को लेकर कई इकाइयों और सिद्धांतों को स्थापित किया गया। लघु क्षेत्र में भास्कराचार्य ने जिस त्रुटि को समय की ईकाई का अंश माना, वह सेकेण्ड का 33750 वाँ हिस्सा है। वहीं काल की महानतम ईकाई महाकल्प घोषित कीजो वर्त्तमान ब्रह्मांड की संपूर्ण आयु अर्थात 31,10,40,00,00,00,000 वर्ष है। इस दिन से एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 109 वर्ष पूर्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने जगत की रचना प्रारंभ की।

भारतीय कालगणना में सौर-मास और चंद्र-मास दोनों का सम्मिलन है। इसमें तिथि, मास, दिन पक्ष और अयन सभी की गणना होती है।

भारतीय नववर्ष में हम कई बातें याद रखते हैं। उनमें कुछ निम्नलिखित हैं -

-चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही पृथ्वी का पिंड सूर्य से अलग हुआ था।
-श्रीराम का राज्या्भषेक इसी दिन हुआ था।
-यु्धष्ठिर का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ था।
-उज्जयिनी के महान सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी शकों को हराकर राजधानी में प्रवेश किया।

अतः हमारा भारतीय नववर्ष अति प्राचीन, वैज्ञानिक, शुद्ध, प्रकृति के अनुकूल और विजय दिवस का प्रतीक है।

नववर्ष के दिन शास्त्रों के आदेशानुसार अपने घर, बाजार और सार्वजनिक स्थानों पर भगवा पताका फहरायें। गतवर्ष के अंतिम सूर्य को विदाई देते हुए नववर्ष के प्रथम सूर्योदय का समूहिक स्वागत करें। घर में रामचरित मानस या अन्य किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करें। मिठाई खायें और खिलायें। परिजनों और संबंधियों को शुभकामना-पत्र और सरल मोबाइल संदेश (SMS) भेजें। कार्यालय में भी सभी को शुभकामना दें। प्रेम बाँटें और प्रेम पायें।

अंत में पुनः आप सभी को भारतीय नववर्ष में 2076 के पावन नवोदित दिवस की शुभकामनाएँ।


1 टिप्पणी:

  1. कोई तो कुछ टिप्पणी भेजो। मुझे पता तो चले कि मेरा ब्लॉग किसी ने देखा या नहीं।

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