बुधवार, 21 अगस्त 2013

रक्षाबंधन



रक्षाबंधन का त्योहार हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। सामान्य रूप से इसे भाई-बहन के स्नेह- प्रेम का त्योहार माना जाता है। परन्तु यह त्योहार अनेक भावनात्मक रिश्ते से बँधा होता है जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से भी पार कर जाता है। रक्षाबंधन में श्रावण पूर्णिमा का त्योहार भी जुड़ा होता है। यह उपासना और संकल्प का अद्भुत समन्वय कराता है।

रक्षाबंधन में राखी या रक्षासूत्र का महत्व होता है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर सोने-चाँदी जैसी मँहगी वस्तु की भी हो सकती है।

इस दिन सभी बहने अपने भाई को दाहिने हाथ में राखी बाँधकर, माथे पर तिलक लगाकर और आरती उतार कर उनके

दीर्घायु होने की कामना करती हैं। बदले में भाई उसकी रक्षा का वचन देता है। ऐसा माना जता है कि रंग-बिरंगे रेशमी धागों का यह त्योहार भाई-बहन के प्यार को अटूट बंधन से बाँधता है। यह पर्व भाई-बहन तक ही सीमित नहीं है। इस पर्व में ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा सम्मानित संबंधियों (जैसे पुत्री द्वारा पिता को ) भी बाँधी जाती है।

शास्त्रों में कहा गया है - इस दिन अपराह्न में रक्षासूत्र का पूजन और उसके उपरांत रक्षाबंधन का विधान है। यह रक्षाबंधन राजा को पुरोहित द्वारा, यजमान को ब्राह्मण द्वारा, भाई को बहिन द्वारा और पति को पत्नी द्वारा दाहिनी कलाई पर किया जाता है।

संस्कृत की उक्ति के अनुसार -
जनेन विधिना यस्तु रक्षाबंधनमाचरेत। स सर्वदोष रहित, सुखी संवत्सरे भवेत्।।

अर्थात इस प्रकार विधिपूर्वक जिसके रक्षाबंधन किया जाता है वह संपूर्ण दोषों से दूर रहकर संपूर्ण वर्ष सुखी रहता है। 


रक्षाबंधन वास्तव में स्नेह, शांति और रक्षा बंधन है। इसमें सबके सुख और कल्याण की भावना निहित है। वर्तमान काल में परिवार में सभी पूज्य और आदरणीय लोगों को रक्षासूत्र बाँधने की परंपरा भी है। वृक्षों की रक्षा के लिए वृक्षों को रक्षासूत्र तथा परिवार की रक्षा के लिए माँ को रक्षासूत्र बाँधने के दृष्टांत भी मिलते हैं।

रक्षाबंधन की लोकप्रियता कब प्रारंभ हुई यह कहना तो कठिन है, पर समय-समय पर इसके प्रेरक उदाहरण अवश्य मिलते हैं।

स्कन्ध पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद्भागवत आदि में रक्षाबंधन के अनेक प्रसंग मिलते हैं। दानवेन्द्र राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पू्र्ण किया। इन्द्र और देवताओं को स्वर्ग का राज्य छिने जाने का भय हो गया। उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान ने वामनावतार के रूप में राजा बलि से तीन पग भूमि माँगी। दो ही पग में सारा आकाश और पृथ्वी नाप लिया। तीसरा पग के लिए पूछे जाने पर बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। भगवान ने उसपर प्रसन्न होकर उसे रसातल में रहने की जगह दी और उससे वरदान माँगने को कहा। बलि ने भगवान को हमेशा अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान के घर न लौटने पर मात लक्ष्मी को चिंता हो गईं। तब नारद जी के कहने पर बलि को रक्षासूत्र बाँधकर माँ लक्ष्मी ने अपना भाई बना लिया और पति को माँग लिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि ही थी। महाभारत की कथा है कि ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण के कहने पर अपनी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाया था। अन्य कथाओं में द्रौपदी द्वारा कृष्ण को तथा कुन्ती द्वारा अभिमन्यु को राखी बाँधने के उल्लेख भी मिलते हैं।

ऐतिहासिक उदाहरणों में जब राजपूत लड़ाई पर जाते थे तो महिलाएँ उनके माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के बाद हाथ में रेशमी धागा भी बाँधती थी। उन्हें विश्वास था कि यह धागा उन्हें विजयश्री अवश्य दिलायेगा। मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा हमला होने की सूचना मिली तो रानी कर्मावती ने मुगल बादशाह को राखी भेजी और सहायता माँगी। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी मेवाड़ पहुँच कर रानी कर्मावती और मेवाड़ की रक्षा की। एक अन्य प्रसंगानुसार सिकन्दर की पत्नी ने अपने पति के जीवनदान के लिए हिन्दु राजा पुरु को राखी बाँधकर अपना भाई बनाया। उसके बदले राजा पुरु ने सिकन्दर को जीवनदान दिया।

इस प्रकार यह त्योहार परस्पर एक दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना से आरंभ हुआ। कालांतर में यह लोकप्रिय भी हो गया। रक्षाबंधन हमें एक दूसरे से आत्मीयता और स्नेह के बन्धन से बाँधता है। यह पर्व सामाजिक, पारिवारिक एकसूत्रता की दृढ़ता प्रदान करता है। इस बहाने प्रतिवर्ष बहनें अपने सगे ही नहीं अपितु दूरदराज के रिश्तों के भाइयों को घर जाकर राखी बाँधती हैं या राखी भेजकर अपने स्नेह का नवीनीकरण करती रहती हैं। दो परिवारों और कुलों का संबंध को दृढ़ता प्रदान करता है। समाज के विभिन्न वर्गों के बीच में रक्षा और सहायता की भावना जागृत करता है।

यह त्योहार आज के आधुनिक फ्रेंडशिप से बहुत ऊपर है। अतः इस त्योहार का सिद्धांत और भावना को समझते हुए इसे मनाया जाय तो फ्रेंडशिप जैसे वाहियात और संस्कारविहीन उत्सवों से छुटकारा मिल सकता है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. आप एक अच्छे लेखक हैं ,आप इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड की सभी पोस्ट्स को पढ़ लें ,वहां आपको ब्लोगिंग के बारे में हर छोटी बड़ी बारीकियां सीखने को मिल जाएँगी। वहां आपकी कमेंट्स को कर ही मै आपके ब्लॉग पर पहुंचा हूँ।

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    1. आपके सुझाव का बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने ही पहली बार मेरे ब्लॉग पर कमेंट दिया है। आपका पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी बातों से मुझे कुछ हौसला मिला है।

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