शुक्रवार, 7 जून 2019

छोटी जाति

जन्म से कोई छोटी या बड़ी जाति का नहीं होता। सचमुच मनुष्य कर्म से ही छोटा या बड़ा होता है।
कुछ लोग अच्छे विचार वाले होते हैं और दूसरों के अच्छे विचारों को भी आत्मसात कर मानव से देवत्व को प्राप्त करते हैं।
कुछ लोग इतना घटिया विचार के होते हैं कि अपने विचारों से अपने ही लोगों को दुखी कर देते हैं। फिर अल्पमत में आकर छोटी जाति या पिछड़ी जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं।इसका उदाहरण हमारे समाज में अनेकों मिल जायेंगे।
 
विद्वानों ने अपने विचार से उच्च रहने के लिए कहा है। इसलिए हमें हमेशा अच्छे विचार  रखने चाहिए। अच्छा विचार करें, अच्छी बातें सुने, अच्छा देखें। इस प्रकार हम अंधकार से प्रकाश की ओर चलें।  लोगों की बुराइयों की और ना देखें। लोगों की अच्छाइयों को देखें। उनका नकल करें और अच्छी बातें सीखे।
 
 जिन्हें हम ऊंची जाति कहते हैं, उनका व्यवहार और स्वभाव देखें। उनमें जो अच्छी बातें हो उनको ग्रहण करें।  जैसे - बड़ों का आदर करना, एक दूसरे का सम्मान करना, सभ्यता से बातें करना, घर के झगड़े को बाहर ना जाने देना आदि। 
आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम्। सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम्॥

चाणक्य के इस श्लोक के अनुसार, आचरण से व्यक्ति के कुल का परिचय मिलता है। बोली से देश का पता लगता है। आदर-सत्कार से प्रेम का तथा शरीर को देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है। चाणक्य नीति के अनुसार, मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चाल से उसके देश की प्रसिद्धि बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ाता है, और उसके शरीर का गठन उसके भोजन से बढ़ता है।

कभी हिंदुस्तान आज ने तय किया था "कृण्वंतो विश्वमार्यम्" यानी पूरे विश्व को आर्य (श्रेष्ठ) बनाएंगे। पर जो अपने आपको पिछड़ी जाति का समझते हैं उन्होंने तय किया है  के दुनिया को असभ्य एवं आतंकवादी बनाएंगे। गाली-गलौज, लड़ाई-झगड़ा, मारपीट आदि सिखायेंगे।

आज की नई हवा में लोगों ने संघर्ष का मतलब गाली-गलौज, लड़ाई-झगड़ा, मारपीट आदि ही समझ लिया है। जिन्हे छोटी जाति का कहा जाता है, उनका तो काम ही है छोटी-छोटी बातों में गाली-गलौज, लड़ाई-झगड़ा, मारपीट आदि से अपनी समस्या का हल खोजना। पर जिन्हें ऊँची जाति का कहा जाता है वे भी ऐसा ही करने लगे तो कौन-ऊँची जाति और कौन छोटी जाति। 

हम पशु थे। कुछ ज्ञान प्राप्त कर मनुष्य हुए। अब देवत्व को प्राप्त करना है।

आदिकाल के मनुष्य पशु समान थे। असभ्य, नंगे, नासमझ, आवारा। न कोई संस्कार, न सगे-संबंधी, न कोई नियम। बाद में जैसे-जैसे प्रकृति से प्राप्त मस्तिष्क का उपयोग करते हुए संसार को समझना शुरू किया, वैसे-वैसे लोगों ने एक स्थान पर रहना, शरीर को कपड़ों से ढँकना, बोली का प्रयोग करते हुए बातचीत करना सीखा। यानी आदिकाल में सभी को छोटी जाति का कहा जा सकता है। जिन्होंने अपनी मस्तिष्क का प्रयोग करते हुए उन्नति की उन्हें बड़े जाति का माना जा सकता है।

इसलिए छोटी और बड़ी जाति का झगड़ा समाप्त करें। सभी अच्छे कर्मों पर ध्यान दें। सभी बड़े हो जाएं, यही मेरी कामना है।




शनिवार, 25 मई 2019

लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत - २०१९


  1. भाजपा के प्रति कितने भ्रामक विचार विपक्षियों ने फैलाये। पर भारतीय जनता ने उनके झूठ को अच्छी तरह पहचान लिया।
  2. विपक्षी दलों का षड्यंत्र - जाति-धर्म के आधार पर भारत को बांटने और तोड़ने की कोशिश को भारतीय जनता ने नाकाम कर दिया।
  3. राहुल बाबा, कन्हैया, मायावती, दिग्विजय आदि लोकतंत्र के दुश्मनों ने भारतीय संविधान की मर्यादा को हर प्रकार से तोड़कर और अवमानना कर देश के उच्चासीन नागरिक और अधिकारी का जिस प्रकार अपमान किया, वह क्षमा योग्य नहीं था। उसका जवाब भी भारतीय जनता ने उन्हें दे दिया।
  4. भारतीय जनता ने यह सिद्ध कर दिया कि हम सभी भारतीय जाति और धर्म से अलग-अलग होते हुए भी आत्मा से हम एक हैं।
  5. अब भारतीय जनता को ठगना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। किसी भी पार्टी के सदस्य हो, देश के प्रति निष्ठा आवश्यक है। वरना भारतीय जनता इसी प्रकार उन्हें धूल चटाती रहेगी।
  6. जो भारतीय जनता का सम्मान नहीं कर सकते उन्हें भारत छोड़ देना चाहिए, वरना.....
  7. इसलिए मोदी जी ने कहा — सबका साथ सबका विकास।
  8. आइए हम सभी अपने व्यक्तिगत, जातिगत और धर्मगत विभेद को भुलाकर अपने देश को महान बनाने का सपना पूरा करें।

जय हिन्द! जय भारत!! जय भारत संतान!!!

शनिवार, 11 मई 2019

मोदी जी को चैलेंज


(इस पोस्ट को मैंने मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद साल भर तैयार किया था, पर पता नहीं पोस्ट कर सका था या नहीं। कृपया इसे ध्यान से पढ़ें और अपनी राय दें।)
A 698.jpgमोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जनता से अपनी अधिकतम ताकत लगा दी। अब मोदी जी की बारी है। क्या वो आज की गंदी राजनीति के बीच अपने को बचाते हुए जनता की सेवा कर पायेंगे। यानी अबतक की परीक्षाओं में सबसे कठिन परीक्षा मोदी जी को देनी है।
  1. इस चुनाव में अच्छी बातें –
    क) मोदी जी का एक महापुरुष के रूप में उभरना।
    ख) एक व्यक्ति पर अधिकतम लोगों का विश्वास जमना।
    ग) मोदी जी की जीत बताती है कि लोगों का झुकाव अब अनुशासन की ओर हो रहा है।
    घ) साम्प्रदायिक ताकत की पहली बार अविश्वसनीय हार हुई है।
    ङ) पहली बार सरकार पूरी बहुमत में आई है।
    च) पहली बार गठबनधन से विपक्ष बनाना पड़ेगा।
    छ) सरकार को सरकार चलाने के लिए सुझाव की आवश्यकता पड़ती थी, अब विपक्ष में बैठने के लिए सरकार के सुझाव पर विपक्ष को ध्यान देना होगा।
  2. मोदी जी से आग्रह –
    क) आज की गंदी राजनीति और राजनीतिज्ञों के बीच जीने के लिए आपको हमेशा सावधान रहना होगा।
    ख) भारतीय संविधान के अनुसार मात्र ही नही कबीर के दोहे (निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटि छवाय, बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुहाय) के अनुसार भी विपक्ष को सम्मान मिलना चाहिए।
    ग) आजतक धर्ण, सम्प्रदाय, प्रांत,जाति के आधार पर भेदभाव करते हुए सरकार चलाई गई। मेरा विचार है इस बार इन सभी कमियों को दूर करने का प्रयास हो। सभी जाति, घर्म, सम्प्रदाय,प्रांत के लोग आपस में मिलजुल कर प्रेम से नया वातावरण स्थापित करें।
  3. विपक्ष से आग्रह –
    क) संविधान में विपक्ष को भी सरकार का एक आवश्यक अंग समझा गया है। इसलिए विपक्ष में बैठने वाले मंत्रियों को भी अपना महत्त्व समझना चाहिए।
    ख) पक्ष की कमियों को विपक्ष ईमानदारी से नोट करें और पक्ष के समक्ष रखकर सरकार की मदद करें। इस प्रकार अपना भारत के विकास में साथ दें। इससे सरकार में विपक्ष को भी पक्ष के समान ही सम्मान मिलेगा।
  4. मिडिया से आग्रह –
    क) मोदी जी की जीत एक अभूतपूर्व घटना है।
    ख) मोदी जी की जीत से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी को भी अभूतपूर्व गौरव प्राप्त हुआ है।
    ग) भारतीय जनता भी मोदी जी को पाकर अभूतपूर्व सपने देखने लगी है।
    घ) मीडिया वालों का क्या, उन्हें तो मशाला चाहिए। यह मशाला भी उनके लिए अभूतपूर्व ही है। पर मोदी जी की जीत का विष्लेषण करते-करते विपक्ष को जिस प्रकार बेइज्जत करने का तरीका मीडिया ने अपनाया है – इसे हिंसा बढ़ाने वाला तरीका कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। मिडियावाले से आग्रह है कि विपक्ष को उनकी गलती अवश्य बतायें पर उन्हे बेइज्जत करके पक्ष-विपक्ष में खाई खोदने का काम न करें। वरना कभी यही खाई मिडिया वालों को भी बरबाद कर सकती है।

शनिवार, 30 मार्च 2019

भारतीय नववर्ष 2076


भारतीय नववर्ष के स्वागत के लिए सम्पूर्ण वातावरण उत्साहित है। नई चेतना, नई शक्ति, नई ऊर्जा से सभी भर गए हैं। वृक्ष अपनी पुरानी पत्तियों को त्याग कर नए कोंपलों से सुसज्जित हो गए हैं। चारों ओर हरियाली छा गई है। रंग-बिरंगे पुष्पों से लदे पादप वृन्द नववर्ष के स्वागत के लिए प्रस्तुत हैं। शक्ति स्वरूपा देवी के नव स्वरूपों की आराधना की तैयारी हो रही है। नववर्ष में नवचेतना का संकल्प लिए कोकिल समूह अपनी कूक से सम्पूर्ण जगत को आह्लादित कर रही है।

इस प्राकृतिक सत्य को भारतीय ऋषि-महर्षियों ने अनुभव किया, अनुसंधान किए, कालचक्र के गहरे रहस्यों को जाना- समझा। इससे एक अद्भुत और अद्वितीय दैवी वरदान के रूप में मानव को प्राप्त हुआ -भारतीय पंचांग।

6 अप्रैल 2019 गुरूवार से भारतीय संवत्सर 2076 का शुभारंभ होने जा रहा है। आप सबको इस नववर्ष की  हार्दिक शुभ कामनाएँ अर्पित करता हूँ।

ईस्वी सन् एक सुविधाजनक कैलेंडर है, जिससे दैनिक राजकार्यों को निर्धारित करने या मजदूरी आदि के भुगतान के लिए प्रयोग किया जाता है। किन्तु इसे कालचक्र का गणित नहीं माना जा सकता। यह खगोल पिण्डों की स्थिति, गति और प्रभाव सहित भारतीय व्रत-त्योहार आदि में ईस्वी सन् की कोई उपयोगिता है ही नहीं। हजारों वर्षों  से व्रत, त्योहार, विवाह, जन्म, पूजा-अर्चना, शुभाशुभ कार्य आदि में भारतीय संवत्सर ही अपनी विशेष भूमिका निभाता रहा है।

इसी जिज्ञासा और सामाजिक व्यवस्था के कारण ही भारतीय कालगणना का जन्म हुआ। भारतीय काल गणना के जन्म से लेकर आज तक अनेक अध्ययन हुए - सही गणना, वैज्ञानिक विश्लेषण, घटित होने वाले प्रभाव से लेकर मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव आदि। इनके अध्ययनों को पुनः जाँचा और परखा गया। खरा पाने पर उन्हें संग्रहीत भी किया गया। इस प्रकार भारतीय कालगणना का विकास निरंतर चलता रहा। इन प्रक्रियाओं से गुजरकर हमारा भारतीय पंचांग अति शुद्ध गणितीय और वैज्ञानिक हो गया है। अभी भी यह नई खोजों में व्याप्त है।

समय के लघु, मध्यम, वृहद स्थितियों को लेकर कई इकाइयों और सिद्धांतों को स्थापित किया गया। लघु क्षेत्र में भास्कराचार्य ने जिस त्रुटि को समय की ईकाई का अंश माना, वह सेकेण्ड का 33750 वाँ हिस्सा है। वहीं काल की महानतम ईकाई महाकल्प घोषित कीजो वर्त्तमान ब्रह्मांड की संपूर्ण आयु अर्थात 31,10,40,00,00,00,000 वर्ष है। इस दिन से एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 109 वर्ष पूर्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने जगत की रचना प्रारंभ की।

भारतीय कालगणना में सौर-मास और चंद्र-मास दोनों का सम्मिलन है। इसमें तिथि, मास, दिन पक्ष और अयन सभी की गणना होती है।

भारतीय नववर्ष में हम कई बातें याद रखते हैं। उनमें कुछ निम्नलिखित हैं -

-चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही पृथ्वी का पिंड सूर्य से अलग हुआ था।
-श्रीराम का राज्या्भषेक इसी दिन हुआ था।
-यु्धष्ठिर का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ था।
-उज्जयिनी के महान सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी शकों को हराकर राजधानी में प्रवेश किया।

अतः हमारा भारतीय नववर्ष अति प्राचीन, वैज्ञानिक, शुद्ध, प्रकृति के अनुकूल और विजय दिवस का प्रतीक है।

नववर्ष के दिन शास्त्रों के आदेशानुसार अपने घर, बाजार और सार्वजनिक स्थानों पर भगवा पताका फहरायें। गतवर्ष के अंतिम सूर्य को विदाई देते हुए नववर्ष के प्रथम सूर्योदय का समूहिक स्वागत करें। घर में रामचरित मानस या अन्य किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करें। मिठाई खायें और खिलायें। परिजनों और संबंधियों को शुभकामना-पत्र और सरल मोबाइल संदेश (SMS) भेजें। कार्यालय में भी सभी को शुभकामना दें। प्रेम बाँटें और प्रेम पायें।

अंत में पुनः आप सभी को भारतीय नववर्ष में 2076 के पावन नवोदित दिवस की शुभकामनाएँ।