शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

खुशी

मैं पेड़ को नीचे खड़ा हूँ । सामने की एक दुकान पर एक

वृद्ध व्यक्ति अपने नन्हें पोते को पाँच रूपये का रसगुल्ला खिला रहा है। पोता बड़ा खुश है और बड़े मजे ले-लेकर खा रहा है। कुछ लोग उस बच्चे की क्रिया-कलाप को देखकर खुश हैं।

बगल में सायकिल दुकान है। मिस्त्री ने सायकिल मरम्मत कर दी है। सायकिल वाले ने खुश होकर उसे शायद कुछ ज्यादा ही पैसे दे दिये या पुराना हिसाब भी चुकती  कर दिया होगा। दुकानदार भी बड़ा खुश नजर आ रहा है ।

कुछ विद्यार्थी सड़क पर आपस में बड़े जोश में बातें करते हुए आ रहे हैं। वे भी बड़े खुश नजर आ रहे हैं। हाव-भाव से लगता है वे परीक्षा देकर आ रहे हैं और परीक्षा अच्छी गयी है।

अचानक मेरी बुद्धि चकराने लगी। आखिर खुशी क्या चीज है?

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