रविवार, 14 मई 2017

इज्जत और नफरत

टीचर ने एक बच्चे से कहा - राजू हल्ला मत करो। राजू थोड़ी देर बैठा रहा। फिर खड़ा हो गया। टीचर फिर चिल्लाई - राजू, खड़े क्यों हो गये! बैठो। राजू फिर बैठ गया। बैठे-बैठे उसे कुछ काम नहीं सूझा तो आगे बैठे बच्चे को चिकोटी काट ली। वह बच्चा रोने लगा।

टीचर को राजू पर बहुत गुस्सा आया और टीचर ने राजू को दो-चार चपत जड़ दी। गुस्से में वो बोली - राजू, तुम बहुत बदमाश हो गये हो।

पर राजू सोच रहा था। टीचर भी बड़ी अजीब है। उन्होंने कहा हल्ला मत करो तो मैं चुप हो गया। टीचर ने मुझे बैठने कहा तो मैं बैठ गया। अब जरा मजा लेने को आगे वाले को चिकोटी काट ली टीचर ने बबाल मचा दिया। क्या मैं अपने मन से कुछ भी नहीं कर सकता। मेरी तो कोई इज्जत ही नहीं है।

यदि हम राजू की भावना को समझे बिना उससे यही व्यवहार करते रहे तो उसके मन मे टीचर के प्रति डर समा जायगा। यही डर आगे चलकर क्रोध और विरोध का रूप लेता है। फिर वह अपने टीचर से नफरत करने लगता है।

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