
ऐसी स्थितियों में गाँधी जी का बुनियादी विद्यालय की कल्पना बड़ी अच्छी थी। बच्चों से बागवानी कराना, सूत कतवाना, चरखा चलवाना और साथ-साथ पढ़ाई भी कराना। सरकार को इन गरीब बच्चों के लिए ऐसे विद्यालयों पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें मजदूरी के साथ-साथ पढ़ाई भी कर सकें। मजदूरी के लिए एक निश्चित धनराशि भी मिलेगी और सरकारी खातों से भोजन और कपड़े भी मिले। इस कल्पना में और सुधार कर 'रोजगार आधारित शिक्षा' का रूप भी दिया जा सकता है। इस प्रकार की योजना से सरकार अवश्य 60% जनता की भलाई कर सकती है।
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