शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

मोह


बोकारो से धनबाद जानेवाली बस में मैं जा बैठा। सभी सीट भरी हुई थी। पर पीछे की सीट में खिड़की की बगल लाली सीट खाली थी। उस सीट पर मैं जा बैठा।

बस चल पड़ी। में खिड़की से बाहर का दृश्य देखने लगा। बोकारो शहर के क्वार्टर्स, फिर एयरोड्रम, फिर खेत और बाजार। एक-एक कर सामने की ओर से दृश्य आ रहे थे और तेजी से पीछे की ओर भाग रहे थे। ठीक मानव जीवन के समान - भविष्य, वर्तमान फिर भूत।

अचानक बस ने हिचकोले ली और थम गई। बस चास में रूककर सवारियों को उठा रही थी। बस यात्रियों से खचाखच भर गई और आगे बढ़ गई। एक औरत भीड़ में मेरे ही समीप खड़ी थी। उसके गोद में एक बच्चा था। बच्चा के कारण उसे खड़े होने में दिक्कत भी हो रही थी। उसने सभी यात्रियों की ओर निगाहें फिराई और मुझ पर आकर स्थिर हो गई। मुझे देखकर उसकी आँखों की एक आशा की किरण उभरी। उस औरत ने बड़े ही करुण निगाहों से मुझे देखा और कहा- "बाबू, जरा मेरे बच्चे को पकड़ लेंगे।

मुझे लगा जैसे मैं सस्ते में छूट गया। कहीं मुझसे स्वयं बैठने के लिए जगह माँगती तो...। मैंने तुरत उसके बच्चे को अपने गोद में ले लिया। वैसे भी बच्चे मुझे बड़े अच्छे लगते हैं। और किसे बच्चे अच्छे नहीं लगते?

मैंने बच्चे को अपने गोद में दोनों हाथों से घेरा बनाकर पकड़ रखा था। इस अवस्था में मेरी दाहिनी कुहनी खिड़की से बार-बार टकरा रही थी। जब-जब बस हिचकोले लेती कुहनी जोर से खिड़की से टकराती। बच्चा गोद से नीचे खिसक जाता। मैं बार-बार बच्चे को खींच कर गोद में रखकर संतुलन बनाने की कोशिश करता। इस कोशिश में मेरी कुहनी घायल हो चुकी थी। अचानक मेरे मन में एक बात आई। इस बच्चे से मेरा क्या संबंध है। मैं इसके लिए इतना क्यों परेशान हूँ। अपनी घायल कुहनी के दर्द को भूलकर बच्चे की सुरक्षा करते हुए मुझे आनंद क्यों हो रहा है। मैं समझ गया - मुझे उस बच्चे से मोह हो गया है।

बस एकबार फिर रूक गई थी। यात्री बाहर निकलने लगे थे। औरत भी बाहर निकलने के लिए तैयार होने लगी।
वह औरत बोली - "बाबू, अब हम यहीं उतरेंगे।"
मैंने हँसते हुए कहा - "बच्चे को भी ले जायेंगे?"
औरत ने मेरी बातों को हँसी में कहा - "आप ले जाएंगे, तो ले जाइए।"
मैंने कहा - "सचमुच!"
औरत थोड़ी सहम गई। फिर हँसते हुए मैंने उसे बच्चा दे दिया। औरत अपने बच्चे को लेकर बस से उतर गई। सारी सृ्ष्टि तो ईश्वर की बनाई हुई है। इसलिए सृष्टि की सारी वस्तुएँ तो उस ईश्वर की हैं। फिर किसी वस्तु से इतना मोह क्यूँ हो जाता है?

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